Shiv Chalisa Lyrics | श्री शिव चालीसा Hindi PDF

Download Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF

You can download the Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF for free using the direct download link given at the bottom of this article.

File nameShiv Chalisa Lyrics Hindi PDF
No. of Pages10  
File size935 KB  
Date AddedSep 12, 2022  
CategoryReligion  
LanguageHindi  
Source/CreditsDrive Files        

Shiv Chalisa Lyrics Overview

Shiva – Shambhu Bholenath is also worshiped as Kaal Mahakal. Lord Shiva is one of the trinity, who is known as Brahma, Vishnu and Mahesh (Shiva). The work of Lord Brahma is to create the universe, the work of Lord Vishnu is to maintain the creatures and the work of Lord Shiva is to destroy the universe when necessary.

If you are unmarried and there is some disturbance every time there is a discussion about your marriage, then you should recite Shri Shiv Chalisa daily. If you are unable to recite Shiv Chalisa daily, then you must recite Shiv Chalisa at least on Monday. For unmarried people, fasting on sixteen Mondays is also very fruitful. Apart from this, reciting Shiva Tandava Stotra is also considered very fruitful. It is said that by reciting Shiva Tandava Stotra, Lord Bholenath is pleased and we get the desired result.

श्री शिव चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥

मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥

मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥

मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।

स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥

श्री शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF

Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF Download Link

Leave a Comment