Navaratri Aarti | नवरात्रि आरती Hindi PDF 

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File nameNavaratri Aarti Hindi PDF
No. of Pages6  
File size596 KB  
Date AddedSep 22, 2022  
CategoryReligion
LanguageHindi  
Source/CreditsDrive Files        

Navaratri Aarti Overview

The Navratri festival begins with fasting and worship on the first day, then continues for nine days. It can be divided into three phases – the first four days are dedicated to Goddess Durga, the next four days to Goddess Lakshmi, and the last four days to Goddess Saraswati. A lot of rituals take place during these nine days like fasting, worship of idols, singing praises of gods, people also dress up as their favorite deity or warrior.

Maa Durga is considered the goddess of happiness, peace and prosperity. That is why it is called the festival of worship of Shakti. During Navratri, fasts are observed for nine days. Maa Durga resides in everyone’s house during Navratras. It is believed that those who observe the fast of Navratri get the blessings of Maa Durga and all their troubles are removed. Mata Rani fulfills all their wishes.

नवरात्रि आरती

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

कनक समान कलेवर,,रक्ताम्बर राजै ।

रक्त पुष्प गलमाला, लाल कुसुम गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।

सुर नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनिजन ध्यावत, तिनके दुखहारी ।।

 ॐ जय अम्बे गौरी ।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ।।

ॐ जय अम्बे गौरी । शु

म्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।

मधुकैटभ दोउ मारे, मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू ।

बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढोल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।

भक्तन की दुख हरता, संतन की दुख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।

मनवांछित फल पावत, मनइच्छा फल पावत, सेवत नर नारी ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत, धोळा गिरी पर राजत, कोटि रतन ज्योति ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै, मैया प्रेम सहित गावें ।

कहत शिवानन्द स्वामी, रटत हरिहर स्वामी, मनवांछित फल पावै ।।

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत , मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।

ॐ जय अम्बे गौरी ।

जय अम्बे गौरी आरती

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।

उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥

जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥

जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥

जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।

आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥

जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।

बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥

जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।

भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥

जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।

मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥

जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥

जय अम्बे गौरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l

तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी l

दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ll

सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली l

दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता l

पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ll

सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली l

दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना l

हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ll

सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली l

सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l

तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll.

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