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File name | Guruvar Puja Vidhi| गुरुवार पूजा विधि in Hindi PDF |
No. of Pages | 3 |
File size | 713 KB |
Date Added | Jun 24, 2022 |
Category | Religion |
Language | Hindi |
Source/Credits | Drive Files |
Guruvar Puja Vidhi in Hindi PDF
Those who do fasting and worship on Thursday, there is benefit in the Mahadasha and Antardasha of the Guru going on in their horoscope. Unmarried people whose marriage is getting delayed and various types of measures are not getting any benefit, So you must do fast and worship on Thursday. As a result of this worship and fasting, Guru prevails in the horoscope. Jupiter influences and controls the place of marriage etc. in the horoscope. Therefore, on getting the strength of the Guru, marriage related defects are removed from the horoscope and the person gets tied in the marriage formula soon.
गुरुवार पूजा विधि
- गुरुवार की पूजा विधि-विधान के अनुसार की जानी चाहिए.
- व्रत वाले दिन सुबह उठकर बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए.
- बृहस्पति देव का पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है.
- इस व्रत में केले के पेड़ की का पूजा की जाती है.
- कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए.
- जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं.
- केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं साथ ही दीपक जलाकर पेड़ की
- आरती उतारें. दिन में एक समय ही भोजन करें.
- खाने में चने की दाल या पीली चीजें खाएं, नमक न खाएं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का इस्तेमाल करें.
- पूजन के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुननी चाहिए.
श्री बृहस्पतिवार की आरती
ॐ जय बृहस्पति देवा
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।