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Adhunik Kal Ki Pravritiyan in Hindi
हिंदी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल हिंदी भाषा साहित्य के विकास की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय काल है। इससे पूर्व के कालों आदिकाल (वीरगाथा कला). पूर्व मध्यकाल (मक्तिकाल) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) में जहां हिंदी साहित्य का विकास क्षेत्रीय भाषाओं (अपभ्रंश, मैथिली, राजस्थानी, ब्रज, अवधी आदि) के माध्यम से काव्य रचना के क्षेत्र में हुआ, वहीं आधुनिककाल (गद्यकाल) में गद्य-पद्य दोनों का समान विकास हुआ, वह भी हिंदी के सर्वमान्य स्वरूप खड़ीबोली के माध्यम से।
इस काल की दो महत्त्वपूर्ण घटनाएं खडीबोली का अपनाया जाना तथा खड़ीबोली के माध्यम से गध का विकास, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त आधुनिक काल का साहित्य प्रत्येक दृष्टि से का वाहक बनकर नवोन्मेष के कारण हमारा ध्यान सर्वाधिक आकृष्ट करता है। सामाजिक-राजनैतिक में जन आकांक्षाओं के अनुरूप जन आंदोलन को प्रेरित करने के कारण इस काल को पुनर्जागरण काल संज्ञा दी गयी है, जिसे भक्ति आंदोलन के बाद सबसे व्यापक आंदोलन के रूप में स्वीकार किया जाता है। बद हुए आधुनिक परिवेश में आधुनिक काल विभिन्न परिस्थितियों की देन है। इस दृष्टि से आधुनिक काल में कविता का जो उन्नत स्वरूप दृष्टिगत होता है वह विशिष्ट एवं उल्लेखनीय कहा जा सकता है।

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